जगजननी जय! जय! माँ! जगजननी जय! जय! भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय। (जगजननी जय ! जय !!) तू ही सत्-चित्-सुखमय, शुद्ध ब्रह्मरूपा। सत्य सनातन, सुन्दर, पर-शिव सुर-भूपा॥१॥ (जगजननी जय ! जय !!) आदि अनादि, अनामय, अविचल, अविनाशी। अमल, अनन्त, अगोचर, अज आनन्दराशी॥२॥ (जगजननी जय ! जय !!) अविकारी, अघहारी, अकल कलाधारी। कर्ता विधि, भर्ता हरि, हर संहारकारी॥३॥ (जगजननी जय ! जय !!) तू विधिवधू, रमा, तू उमा महामाया। मूल प्रकृति, विद्या तू, तू जननी जाया॥४॥ (जगजननी जय ! जय !!) राम, कृष्ण तू, सीता, ब्रजरानी राधा। तू वाँछाकल्पद्रुम, हारिणि सब बाधा॥५॥ (जगजननी जय ! जय !!) दश विद्या, नव दुर्गा, नाना शस्त्रकरा। अष्टमातृका, योगिनि, नव-नव रूप धरा॥६॥ (जगजननी जय ! जय !!) तू परधामनिवासिनि, महाविलासिनि तू। तू ही श्मशानविहारिणि, ताण्डवलासिनि तू॥७॥ (जगजननी जय ! जय !!) सुर-मुनि मोहिनि सौम्या, तू शोभाधारा। विवसन विकट सरुपा, प्रलयमयी, धारा॥८॥ (जगजननी जय ! जय !!) तू ही स्नेहसुधामयी, तू अति गरलमना। रत्नविभूषित तू ही, तू ही अस्थि तना॥९॥ (जगजननी जय ! जय !!) मूलाधार निवासिनि, इह-पर सिद्धिप्रदे। कालातीता काली, कमला तू वरदे॥१०॥ (जगजननी जय ! जय !!) शक्ति शक्तिधर तू ही, नित्य अभेदमयी। भेद प्रदर्शिनि वाणी विमले! वेदत्रयी॥११॥ (जगजननी जय ! जय !!) हम अति दीन दु:खी माँ! विपत जाल घेरे। हैं कपूत अति कपटी, पर बालक तेरे॥१२॥ (जगजननी जय ! जय !!) निज स्वभाववश जननी! दयादृष्टि कीजै। करुणा कर करुणामयी! चरण शरण दीजै॥१३॥ (जगजननी जय ! जय !!) || ॐ देवी शरणम ||
श्री श्री १०८ दुर्गापूजा चकौती आहाँ सभ गोटा के हार्दिक स्वागत क रहल अइछ...

Monday 30 May 2011

Mukhiya Ji

सरकार भ्रष्टाचार मिटाने की बात पुरजोर तरीके से कर रही है। पहल भी की है। पूरे देश में नीतीश को आइकान के रूप में देखा गया है। कई पुरस्कार भी खाते में आये हैं। इनकी सरकार को भ्रष्टाचार विरोधी उसके खात्मे के विशेष पहरुये के रूप में पूरे देश की जनता देख भी रही है और देखना भी चाहिये। दोबारा सुशासन की सरकार लौटी तो सबसे पहले विधायक फंड को चलता किया। ग्रास रूट से भ्रष्टाचार मिटाने के लिये उसके कदम सराहे भी गये। लेकिन एक सवाल सरकार से। इस सरकार में एक तो नीतीश की सरकार है और दूसरे सरकार आप यानी जनता-जनार्दन। दोनों से एक सवाल है। क्या बिहार सरकार यानी नीतीश सरकार कुछ सोचती भी है। कुछ देखती भी है। अगर आपका जवाब हां है तो दूसरा सवाल, अगर सरकार कुछ देखती व सोचती है तो कुछ करती क्यों नहीं? अगर आपका जवाब ना है तो तीसरा सवाल, अगर सरकार न सोचती है ना देखती है तो फिर करती क्या है? जवाब साफ है, सरकार वाह-वाही लूट रही है। अगर ऐसा नहीं तो सरकार को उनके प्रदेश में चल रहे कार्यों का तो ठीक-ठीक अनुमान होगा ही। अब थोड़ा, पंचायत चुनाव की चक्कलस कर लें। पंचायत चुनाव का रूझान देखें। यहां कहां है सरकार की तरक्की, भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम की कोई बात। सबके सब मुखिया बनना चाहते हैं। आखिर इस मुखिया पद में रखा क्या है। क्यों इस पद के लिये मारामारी हो रही है। लोग गोली खाने व खिलाने की हिमाकत कर-करवा रहे हैं। इस पद के पीछे क्या है। ये हाय-तौबा इस पद के लिये क्यूं? निसंदेह पद ही मलाई वाला है। पूरा मलाई है साहब इसमें। एक बार जिसने खा लिया वो कटोरा लेके सड़क पर उतरेगा ही। जो नहीं खा सका, खाने की इच्छा है कटोरा क्या थाली, चम्मच लेकर घर-घर बौखेगा। मलाई कोई भला क्यों छोडऩा चाहेगा। खुद नहीं बन सका तो पत्नी किस दिन काम आयेगी। वैसे भी नीतीश सरकार में एक पद के लिये दो लोग काम पर लगे ही मिलेंगे। पत्नी टीचर हैं तो बाहर गेट पर पति महोदय मिल जायेंगे। पत्नी आंगनवाड़ी सेविका या सहायिका तो पतिदेव मोटरसाइकिल पर पत्नी को लादे दिन भर प्रखंडों का चक्कर लगाते मिल जायेंगे। पत्नी पंचायत समिति सदस्य तो पति बैठक में भाषण करते नजर आ जायेंगे। तो ये सब साहब नीतीश सरकार में जायज है, चलता है, चलाऊ है। मलाई मुखियाजी अकेले खा लेंगे ये नीतीश सरकार में नहीं चलता। यहां अफसर आराम से कमीशन लेते हैं। लालू राज में कमीशन पहले तय हो जाया करता था, नीतीश सरकार में कमीशन काम के बाद। गुणवत्ता देखकर। वैसे सरकार वेज यानी शुद्ध शाकाहारी हैं। मलाई खाने की आदत है नहीं सो अफसरों को भी पकडऩे की बात सरकारजी बार-बार कह रहे हैं। अब सरकार की सोच में मुखिया जी की कमाई कुछ है ही नहीं। मुखिया तो ठहरा गांव का सेवक। बेचारा कल तक पैदल चलता था आज बोलेरो  पर चल रहा है । कल का बदहाल घर और आज की शान-व-शौकत। कल तलक बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते क्या नाम लिखा कर घर पर मटरगश्ती करते रहते थे आज बड़े-बड़े नामी-गिरामी स्कूलों में पढ़-लिख रहे हैं। भाई, सरकार के समझ में यह बात अब तक नहीं आयी है। अगर आयी होती तो कार्रवाई हुई होती। कई मुखियाजी जेल में सड़ रहे होते। सड़े आम की तरह, क्योंकि मुखियाजी हो और खायें नहीं यह बात हाजमोला खा के भी हजम होने वाली बात है नहीं। मनरेगा में ठप्पा लगाया और सब माल बोरे में। कार्रवाई करेगा कौन ये तो केंद्र का मसला है केंद्र जाने। नीतीश सरकार क्यों किसे के खाने पर रोक लगाये। सो,कार्रवाई हुई ही नहीं, मुखियाजी मनरेगा को चाट गये। आंगनवाड़ी को साफ कर दिया। शिक्षक नियोजन में गदहे पास कर गये। अब देखिये ना, एक मुखियाजी के पास एक साल में 60 लाख रुपया मनरेगा का आता है। दो हजार प्रति इंदिरा आवास कमीशन तय है। आंगनवाड़ी, शिक्षक नियोजन समेत कुल अगर सीधा-साधा मुखिया रहा तो पांच करोड़ पूरे कार्यकाल में और तेज-तर्रार जो आज सब है, दस करोड़ तक का जुगाड़ कर लेता है। अब दस करोड़ का कमीशन ही जोड़ लीजिये। साहब, दस करोड़ ना सही पांच ही करोड़ मान लें। एक पंचायत की सूरत बदलने के लिये काफी है लेकिन हाल यह है, रात को सोलर लाइट से रोशनी नहीं जलती। आंगनवाड़ी केंद्र बंद रहते हैं। स्कूलों में बच्चों को मध्याह्न भोजन नहीं मिलता। इधर, लगाातार मुखियाजी मोटे होते जा रहे हैं तो इसमें बेचारे नीतीश बाबू क्या करें। उनके शासन में मुखियों को जेल भेजने की मनाही हैं। जांच होगी नहीं तो जेल भेजेगा कौन? मुखियों से ज्यादा विधायक ही इधर-उधर हो रहे हैं। जहांपनाह, वो देखिये आ रहे हैं मुखियाजी, अभी-अभी जीत के लौटे हैं। फिलहाल पैदल हैं बेचारे आपसे आशीर्वाद चाहते हैं। उम्मीद करते हैं अपने पूर्व के मुखियों की तरह ये भी पंचायत का भला कम करेंगे। खुद की पेट भरेंगे और पांच साल बाद फिर खुद नहीं तो पत्नी को जरूर मैदान में उतारेंगे यही वादा है-आम लोगों से।

एक मुखिया जी - विनोद माझी (पूर्व मुखिया) जिसे पंचायत के जनता ने इस वार नकार दिया, समय विपरीत मुखिया का इसलिए हुआ चूँकि बहुत लोगो से पैसा ठगा था, दिन भर नशे में रहता था, कलम से भी बहुत  कमजोर था नाम भी अपना सही से नही लिख सकता था !
एक और मुखिया जी - विनोद माझी से पहले उपेंदर पासवान ही पंचायत मुखिया था इस वार फिर से जनता ने  उपेंदर पासवान को चुना है वैसे उपेंदर पासवान भी जेल कि सजा काट चुका है- आम जनता से धोखाधड़ी, बाढ़ राहत एत्यादि के सबंध में ! जनता के पास इस वार कोई विकल्प नही था।

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