12 जून, 2011- चकौती, एग्यारह दिवशिय महारुद्र यज्ञ शांतिपूर्ण संपन्न हुआ, यज्ञ में दूर-दूर से शर्धालु व भक्त-जन आए हुए थे, इस यज्ञ को पंडित आचार्य सुजीत कुमार झा ने संपन्न कराया ।
सेवा दास (महात्मा - समस्तीपुर) जिन्होंने महारुद्र यज्ञ का आयोजन किया था, उनसे यज्ञ के सदस्य-गन खुश नही है, सदस्यों का कहना है कि कथा वाचक और राश-लीला मंडली को उचित राशि नही दी गयी- जो बात हुई थी मंडली के साथ, जबकि सेवा दास महात्मा का कहना है कि उचित राशि सभी को दिया गया है - अब इस बात को लेकर आपस में अनबन सा हो गया है ! इधर सदस्यों ने कुछ राशि इधर-उधर से इकट्ठा कर कथा वाचक और राश-लीला मंडली को दिया है ! कुछ सदस्य-गण आपस में विचार कर रहें है कि सेवा दास महात्मा से आय-व्य का विवरण लिया जाय और जिसकी जो वाकाया राशि है उसे दे दिया जाय, इस पर बाबा महात्मा राज़ी- खुशी नही है ! यज्ञ में धोखाधड़ी नही होना चाहिए, जो आय-व्यय है सबके सामने प्रस्तुत होना चाहिए !
कुछ भी हो बाबा महात्मा को महान माना जायेगा, क्योंकि आज तक के इतिहास में चकौती गाँव में महारुद्र यज्ञ का आयोजन कभी नही हुआ था, बाबा-महात्मा ने काफी मेहनत की और उनका साथ गाँव के लोगो ने दिया ! इसलिए छोटी-मोटी बातों को ध्यान ना देकर भक्ति भाव से उनका विदाई समारोह होना चाहिये और जय-जय करना चाहिये- प्रेम से बोलो जय माता दी......, हर हर महादेव......हरड़ हरड़.. , जय हो बाबा...........
सेवा दास (महात्मा - समस्तीपुर) जिन्होंने महारुद्र यज्ञ का आयोजन किया था, उनसे यज्ञ के सदस्य-गन खुश नही है, सदस्यों का कहना है कि कथा वाचक और राश-लीला मंडली को उचित राशि नही दी गयी- जो बात हुई थी मंडली के साथ, जबकि सेवा दास महात्मा का कहना है कि उचित राशि सभी को दिया गया है - अब इस बात को लेकर आपस में अनबन सा हो गया है ! इधर सदस्यों ने कुछ राशि इधर-उधर से इकट्ठा कर कथा वाचक और राश-लीला मंडली को दिया है ! कुछ सदस्य-गण आपस में विचार कर रहें है कि सेवा दास महात्मा से आय-व्य का विवरण लिया जाय और जिसकी जो वाकाया राशि है उसे दे दिया जाय, इस पर बाबा महात्मा राज़ी- खुशी नही है ! यज्ञ में धोखाधड़ी नही होना चाहिए, जो आय-व्यय है सबके सामने प्रस्तुत होना चाहिए !
कुछ भी हो बाबा महात्मा को महान माना जायेगा, क्योंकि आज तक के इतिहास में चकौती गाँव में महारुद्र यज्ञ का आयोजन कभी नही हुआ था, बाबा-महात्मा ने काफी मेहनत की और उनका साथ गाँव के लोगो ने दिया ! इसलिए छोटी-मोटी बातों को ध्यान ना देकर भक्ति भाव से उनका विदाई समारोह होना चाहिये और जय-जय करना चाहिये- प्रेम से बोलो जय माता दी......, हर हर महादेव......हरड़ हरड़.. , जय हो बाबा...........
महारुद्र यानि शिव कि महिमा :-
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं में संपूर्ण प्रकृति शिव का ही स्वरूप मानी गई है। विशेष रूप से वेद भगवान शिव की विराटता, व्यापकता, शक्तियों और महिमा का रहस्य बताते हैं। जिसमें शिव को अनादि, अनंत, जगत की हर रचना का कारण, स्थिति और विनाशक मानकर स्तुति की गई है। वेदों में भी प्रकृति पूजा का ही महत्व व गुणगान है। इसलिए माना भी गया है कि वेद ही शिव है और शिव ही वेद है। इस तरह वेद प्रकृति प्रेम के रूप में शिव भक्ति का ज्ञान भी देते हैं।सार यही है कि मात्र व्यक्तिगत कामनाओं की पूर्ति से शिव भक्ति के धार्मिक उपायों को अपना लेना ही सच्ची शिव उपासना नहीं, बल्कि शिव शब्द के ही मूल भाव कल्याण को जीवन में उतारकर नि:स्वार्थ बन प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा द्वारा प्रकृति और प्राणियों के बीच अटूट संबंध और संतुलन को कायम रखना ही सच्ची शिव भक्ति होगी।
हर हर महादेव...................हरड़ हरड़..
हर हर महादेव...................हरड़ हरड़..
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