सवाल कई हैं... लेकिन ये चंद सवाल ही इस देश के शासक वर्ग की मंशा को साफ कर देते हैं., आम आदमी के साथ ख़डे होने का दावा करने वाले नेताओं की कलई खोल देते है.. बीता साल ऐसी कई यादें हमें दे गया, जो बहुत जल्द भुलाई नहीं जा सकेंगी.... उदाहरण के लिए टेप कांड, मीडिया, दलाल और कॉरपोरेट के गठजो़ड का पर्दाफाश हुआ.. पता चला, आम आदमी की आवाज़ समझा जाने वाला मीडिया एक सुपर दलाल नीरा राडिया के माध्यम से कॉरपोरेट घरानों की आवाज़ बन गया.. नामचीन पत्रकारों, नेताओं और उद्योगपतियों को एक दलाल से बात करते और उसकी हां में हां मिलाते, दुनिया ने सुना... आम आदमी के पैसों को अपना मान कर लूट की खुली छूट दी गई !
बिहार चुनाव के दौरान केंद्र सरकार कहती रही कि बिहार का विकास केंद्र के पैसे से हुआ है ? लेकिन स्पेक्ट्रम घोटाले में डूबे पौने दो लाख करो़ड रुपये किसके थे, इसका जवाब सरकार नहीं दे सकी.. स्पेक्ट्रम मामले पर जेपीसी की मांग को लेकर विपक्ष ने संसद के शीतकालीन सत्र को एक दिन भी नहीं चलने दिया... इस साल, संसद में काम के नाम पर इतना ही हुआ कि सांसदों ने अपना वेतन-भत्ता ब़ढवाने संबंधी विधेयक पारित करवा लिया ! राज्य सभा में महिला आरक्षण विधेयक पास तो हुआ, लेकिन लोकसभा में आकर अटक गया ! कुल मिला कर संसद जैसी महत्वपूर्ण संस्था से भी जनता को निराशा ही हाथ लगी !
संसद से स़डक तक. यह साल हंगामे और विरोध-प्रदर्शन के नाम रहा... लेकिन सालों बाद दिल्ली ने किसानों को एकजुट होकर अपने हक़ के लिए स़डक पर उतरते देखा. विकास के नाम पर जिस तरह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हज़ारों-लाखों किसानों की ज़मीन सरकार ने जबरन अधिग्रहित की, वो भी बहुत कम दर पर, उससे इस देश के किसानों को संगठित होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ! 15 अगस्त, इस दिन देश आज़ादी का जश्न मना रहा था... दूसरी ओर, अलीग़ढ और मथुरा की स़डकों पर पुलिस किसानों पर लाठियां और गोलियां बरसा रही थी... लेकिन, इस देश की सरकार को 114 साल पुराने भू-अधिग्रहण क़ानून को बदलने या संशोधित करने की ज़रूरत महसूस नहीं हुई !
भ्रष्टाचार के मामले में राजनीतिक पार्टियों के बीच कोई खास अंतर नहीं दिखा... कर्नाटक में बीजेपी सरकार के मुखिया वी एस येदुरप्पा भूमि आवंटन घोटाले में साफ-साफ फंसते दिखे, लेकिन बीजेपी चाह कर भी उनके ख़िला़फ कोई कार्रवाई नहीं कर सकी. हद तो तब हो गई, जब सेना पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे ! सुकना भूमि घोटाले में ख़ुद आर्मी की कोर्ट ने सेना के दो अधिकारियों की संलिप्तता की बात कही !. लेफ्टीनेंट जनरल और मेजर जनरल स्तर के इन अधिकारियों के ख़िला़फ सेना को कोर्ट ने कार्रवाई के आदेश दिए... आम आदमी का सेना और न्यायपालिका से भरोसा दरकता नज़र आया जब सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय पर क़डी टिप्पणी करते हुए कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कहीं कुछ स़ड गया है और यहां भाई-भतीजावाद चरम पर है !
इतिहास के पन्नों में यह साल घोटालों के साल के रूप में भी याद रखा जाएगा... News Agency ने सबसे पहले आईपीएल में महाघोटाले का संकेत दे दिया था ! बाद में क्या हुआ, सब जानते हैं ! कॉमनवेल्थ गेम्स कॉमन मैन (आम आदमी) की संपत्ति के लूट का खेल बन गया. बाद में, जांच शुरू होने के बाद भी कलमा़डी अपने पद पर बने रहे... सबसे दुख की बात तो यह थी कि जिन प्रवासी मज़दूरों ने राष्ट्रमंडल खेलों को सफल बनाने में अपनी जान तक गंवाई, उन्हें ही हमारे देश के गृह मंत्री, दिल्ली की मुख्यमंत्री सारी समस्याओं की ज़ड बता रहे थे !
एक आख़िरी उम्मीद. नवंबर 2010 में जब बिहार विधान सभा चुनाव के परिणाम आएं, तो ऐसा लगा कि एक आख़िरी उम्मीद अभी भी बची है... ज़्यादा निराश होने की ज़रूरत नहीं है... जिस तरह से बिहार की जनता ने जाति और धर्म को भुला कर विकास के नाम पर वोट किया, वह देश के लिए एक संदेश बन गया... उम्मीद तब और भी मज़बूत हुई जब नीतीश कुमार ने राइट टू सर्विस एक्ट, अवैध संपत्ति ज़ब्त करने के लिए क़ानून बनाने और विधायक फंड ख़त्म करने की घोषणा की.. और हां, इस देश की जनता को ख़ुशी के कुछ पल सचिन तेंदुलकर भी दे गए. टेस्ट क्रिकेट में शतकों का अर्धशतक लगा कर !
नए साल पर चकौती विलेज की ओर से आप सभी को शुभकामनाएं - जय माता दी !!
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